माता-पिता या सास-ससुर की अनदेखी करना या पुश्तैनी संपत्ति हड़पना संतानों को पड़ सकता है महंगा
माता-पिता या सास-ससुर की अनदेखी करना या पुश्तैनी संपत्ति हड़पना
संतानों को महंगा पड़ सकता है। 8 मार्च से शुरू होने वाले संसद के बजट सत्र
के दूसरे चरण में इससे जुड़ा संशोधन विधेयक पेश किया जाएगा। इसमें
बुजुर्गों के गुजारा भत्ते और गरिमापूर्ण ढंग से जीवन निश्चित करने के कड़े
प्रावधान हैं।
संसद के बजट सत्र के दूसरे चरण में बुजुर्गों की
सुरक्षा और उनके भरण पोषण से जुड़े संशोधित बिल को पेश किया जा सकता है। इस
बिल में 'संतान का दायरा बढ़ा दिया गया है। साथ ही बुजुर्ग नागरिकों के
साथ दुव्र्यवहार करने पर कड़ी सजा के प्रावधान हैं। केंद्र सरकार ने दिसंबर
2019 में माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण एवं कल्याण (संशोधन)
विधेयक पेश किया था। जिसे बाद में संसद की स्थायी समिति के पास भेजा गया
था।
स्थायी समिति ने बिल को मंजूरी दे दी है और साथ ही इसके लिए कई
सिफारिशें भी दी हैं। समिति ने माना है कि संतान की श्रेणी में दामाद, बहू
और गोद लिए बच्चों या सौतेले संतान या रिश्तेदार को शामिल करने का फैसला
सही है। स्थायी समिति ने यह सिफारिश भी दी है कि माता-पिता की इकलौती संतान
वाले कर्मियों को विशेष छुट्टी मिलनी चाहिए।
इसके अलावा बिल में
प्रावधान है कि हर थाने में बुजुर्गों की सहायता के लिए सहायक
सब-इंस्पेक्टर या इस रैंक का एक नोडल अधिकारी हो। बुजुर्गों के लिए अलग
स्वास्थ्य केंद्र बने और काउंसिलिंग की भी सुविधा हो। इसके अलावा बिल में
वरिष्ठ नागरिकों के लिए हेल्पलाइन नंबर रखने की बभी बात कही गई है। इस
संशोधित बिल के मुताबिक, संतान अभाव में अब बुजुर्ग नागरिकों के लिए अपने
गुजारे का दावा करने का दायरा बढ़ जाएगा।
संशोधित बिल के अनुसार,
पोते-पोती और नाबालिग बच्चे कानूनी अभिभावकों को संतान मानने और ससुर, साल व
दादा-दादी को भी अभिभावक की श्रेणी में रखा गया है। संतानहीन बुजुर्ग का
ऐसा कोई भी कानूनी उत्तराधिकारी अब संतान के दायरे में होगा जो उनकी
संपत्ति का उत्तराधिकारी है या उनकी मौत के बाद हो सकता है। इसके अलावा
गुजारा भत्ते के लिए 10 हजार रुपए की सीमा खत्म की जाएगी। ये भत्ता बुजुर्ग
की जरूरतों और संतान की आमदनी के हिसाब से होगी।
बिल में बुजुर्ग
नागरिकों के लिये ट्राइब्यूनल स्थापित करने का प्रावधान किया गया है ताकि
वे भरण पोषण और सहायता के दावों का निपटारा कर सकें। ऐसे बुजुर्ग, जिनकी
उम्र 80 साल से अधिक हो, उनका निपटारा 60 दिनों के भीतर किया जाना चाहिए।
संसद के बजट सत्र का दूसरा चरण 8 मार्च से शुरू होने वाला है।