शिवमोगा में हिजाब पहनकर छात्राओं ने की नारेबाजी, कॉलेज ने कहा- ऑनलाइन क्लास अटेंड करिए
शिवमोगा के DVS कॉलेज में गुरुवार को भी लड़कियां हिजाब पहनकर आईं। कॉलेज ने कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश पर उन्हें धार्मिक प्रतीकों के साथ एंट्री देने से मना किया तो उन्होंने बहस शुरू कर दी। इस पर मैनेजमेंट ने उन्हें कॉलेज आने के बजाय ऑनलाइन क्लास अटेंड करने कहा। हाईकोर्ट में हिजाब विवाद पर गुरुवार को लगातार चौथे दिन सुनवाई होनी है।
इससे पहले बुधवार को कोर्ट में तीन जजों की बेंच में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील और सरकारी वकील ने अपनी-अपनी दलील पेश की, लेकिन किसी तरह का फैसला नहीं हो सका। उम्मीद है कि गुरुवार को मामले में कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी।
बुधवार को कोर्ट में क्या हुआ
कर्नाटक
में हिजाब विवाद पर हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई के दौरान वकीलों की
जोरदार जिरह हुई। मुस्लिम छात्राओं की ओर से पेश हुए एडवोकेट रविवर्मा
कुमार ने बेंच के सामने कई दलीलें दी। उन्होंने कहा कि समझ नहीं आता कि
सरकार हिजाब का मुद्दा उठाकर मुस्लिमों महिलाओं से दुश्मनों जैसा व्यवहार
क्यों कर रही है।
जब हिंदू लड़कियां चूड़ी पहनती हैं और क्रिश्चियन क्रॉस पहनते हैं क्या वे धार्मिक प्रतीक नहीं हैं। ऐसे में आप इन बेचारी मुस्लिम लड़कियों को क्यों चुन रहे हैं। बुधवार को भी कर्नाटक हाईकोर्ट में इस मामले पर कोई फैसला नहीं हो सका। सीनियर एडवोकेट आदिश अग्रवाल ने इंटरवेंशन एप्लिकेशन के बारे में बताया, लेकिन कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि केस में किसी भी इंटरवेंशन की सुनवाई तब तक नहीं होगी जब तक कि जरूरी न हो। मामले में आगे की सुनवाई गुरुवार दोपहर को भी जारी रहेगी।
500 लोगों ने लिखा खुला खत
हिजाब
मामले पर 500 से ज्यादा लॉ स्टूडेंट्स, लॉ एक्सपर्ट्स और वकीलों ने एक
खुला पत्र लिखा है। जिसमें हिजाब पहनने के कारण मुस्लिम युवतियों को
स्कूल-कॉलेज में एंट्री से रोकने की कड़ी निंदा की गई है। इसे संवैधानिक
अधिकारों का उल्लंघन कहा है।
साथ ही यह भी कहा है कि मुस्लिम लड़कियों और महिलाओं की यह अवहेलना सार्वजनिक दृष्टि से अमानवीय है, यह संविधान और पूरे समुदाय के अपमान के बराबर है। सम्मान के साथ जीवन जीने के उनके मूल अधिकार की रक्षा करने में विफल होने के कारण हमार सिर शर्म से झुक गया है।