रायगढ़ के लारा एनटीपीसी से निकलने वाले फ्लाई ऐश का ग्रामीणों ने रोका रास्ता
रायगढ़। लारा एनटीपीसी और फ्लाई ऐश डेम के बीच का रास्ता बंद कर दिया गया है। सड़क निजी जमीन पर है, जिसका अधिग्रहण नहीं किया गया है। इससे नाराज भूस्वामी ने भू-विस्थापितों के साथ मिलकर रास्ते को खोदकर बाधित कर दिया है। एनटीपीसी प्रबंधन ने फ्लाई ऐश का निपटान नहीं होने पर बिजली उत्पादन प्रभावित होने की आशंका जताई है। एनटीपीसी भू-विस्थापित नौकरी की मांग को लेकर लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। एक बार फिर से प्रबंधन और भू-विस्थापित आमने सामने हैं।
एनटीपीसी लारा संयंत्र के फ्लाई ऐश को जिस रास्ते से निकाला जाता है, उसे खोदकर बंद कर दिया गया है। एनटीपीसी से प्रतिदिन 12 से 14 हजार टन राखड़ निकलता है। इसका निपटारा नहीं होने से यह विकराल समस्या बन जाएगी। दरअसल जिस रास्ते से भारी वाहन राखड़ लेकर डेम जाते हैं, वह निजी जमीन पर है। ग्राम कांदागढ़ दशरथी प्रधान का दावा है कि उनकी जमीन का बिना अधिग्रहण किए पिछले नौ वर्षों से एनटीपीसी कब्जा जमाए हुए है।
कई बार आवेदन करने के बाद भी जमीन को मुक्त नहीं किया जा रहा है। प्रतिदिन भारी वाहनों के चलने से कृषक की जमीन बर्बाद हो गई है। इससे परेशान किसान ने अपने निजी जमीन पर गड्ढा खोदकर रास्ता रोक दिया है। उनका कहना है कि वे इस जमीन पर खेती करेंगे। अब राखड़ निपटान नहीं होने से बिजली उत्पादन को कम करना पड़ सकता है। इससे कई राज्यों में बिजली संकट गहरा सकता है। एनटीपीसी के अधिकारी भी यही मान रहे हैं कि हफ्ते भर में यह समस्या नहीं सुलझी तो उत्पादन पर असर पड़ेगा। हालांकि प्रबंधन ने राखड़ डंपिंग के लिए अस्थाई जगह बनाई है।
पांच राज्यों पर पड़ेगा असर
एनटीपीसी लारा 1600 मेगावाट प्रोजेक्ट में शुरुआत से कई तरह की समस्या आ रही है। इस प्लांट से 800 मेगावाट छत्तीसगढ़ व 800 मेगावाट बिजली अन्य राज्यों में भेजी जाती है। इसमें मध्य प्रदेश , महाराष्ट्र , गुजरात , महाराष्ट्र , गोवा , दमन दीव शामिल हैं। विवाद का नहीं सलझने पर छत्तीसगढ़ के अलावा इन राज्यों पर भी असर पड़ेगा।
क्या कहता है प्रबंधन
जिस स्थान से राखड़ का डिस्पोजल करने के लिए भारी वाहन जाते थे, उसे ग्रामीणों ने बंद करा दिया है। रास्ता ग्रामीण की निजी भूमि पर है। उसे अधिग्रहण करने व लीज में लेने की भी प्रक्रिया की गई है परंतु ग्रामीण ने इन्कार कर दिया है। आगामी दिनों में राखड़ से डेम भर जाएगा। यह एनजीटी के निर्देश का उलंघन होगा। डिस्पोजल जरूरी है। इसकी व्यवस्था नहीं होने पर बिजली उत्पादन में व्यवधान आना तय है।